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Monday, November 26

इस तरह स्टार्ट करें बिजनेस तो होंगे कामयाब, होगा बढ़िया प्रोफिट

ज्यादातर ग्रेजुएट का यंग एंटरप्रेन्योर बनने का सपना उन्हें बहुत तेजी से स्टार्टअप की दुनिया की ओर खींचता है। लेकिन जितने तेजी से आप स्टार्टअप को शुरुआत देते हैं कि कई कारणों की वजह से वह स्पीडअप नहीं हो पाता है। अधिकतर स्टार्टअप इंडिया में औसतन 200-300 दिनों में दम तोड़ देते हैं। यंग एंटरप्रेन्योर ऐसी क्या गलती कर रहे हैं, जिसकी वजह से स्टार्टअप के सक्सेस होने में समस्याएं आ रही हैं। यंग एंटरप्रेन्योर को फेल होने से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए-

एक साथ ज्यादा इन्वेस्ट न करें
स्टार्टअप किसी भी फील्ड से सबंध रखता हो लेकिन शुरुआती दौर में उसमें अधिक इंवेस्टमेंट करने की भूल ना करें। इंवेस्टमेंट हमेशा पार्ट में करें। यदि आपने स्टार्टअप को प्लान नहीं किया है तो फिजूल का इंवेस्टमेंट आपके स्टार्टअप को नुकसान पहुंचा सकता है। आप स्टार्टअप कंसल्टेंट की भी राय ले सकते हैं। स्टार्टअप जिस भी फील्ड को पहले उसका अच्छे से अध्ययन करें। जोश में आकर ऐसा कोई निर्णय नहीं करना चाहिए जिससे कि आपको आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़े।

अकेले शुरुआत से बचें
बि जनेस को शुरुआती दिनों में बेहतर प्लानिंग और इंवेस्टमेंट के साथ बहुत सारी मेहनत की जरूरत होती है। ज्यादातर स्टार्टअप विशेषकर जो कि अकेले प्रारंभ किए जाते हैं, उनके फेल होने का प्रतिशत सबसे अधिक होता है। जब ऐसे एंटरप्रेन्योर को परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वह प्रोफेशन एडवाइज तो ले सकता है लेकिन इमोशनल सपोर्ट उसे नहीं मिलता है। इसलिए प्रयास करें कि आप एक प्रोफेशनल गु्रप बनाएं और अपने बिजनेस की नींव रखें।

आसान हुई है बिजनेस की राह
इंडिया में स्टार्टअप के बूस्टअप के लिए सरकार की ओर से भी प्रोग्राम संचालित किए जा रहे हैं। यदि आप अपने स्टार्टअप आइडिया को हकीकत बनाना चाहते हैं तो आपके प्रयास इसे सफल बना सकते हैं। ऑनलाइन स्टार्टअप प्रोजेक्ट के मॉडल और उनकी डीप स्टडी आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।

प्रोफेशन नहीं पैशन बनाएं
एक सामान्य कामकाज करके स्टार्टअप या अन्य बिजनेस जिसकी शुरुआत हो रही है उसके कभी ग्रो नहीं किया जा सकता। आप स्वयं पैशन से काम करेंगे तो इसका प्रभाव आपके एम्प्लॉइज पर भी होगा। अपने आप को उत्साहित रखने के लिए आप काम के साथ स्पोर्ट, म्यूजिक और योगा का भी सहारा ले सकते हैं। इससे आप की वर्क क्षमता बढ़ेगी और स्टार्टअप के बुरे दिनों में भी आप मजबूती से टिके रहेंगे। आप मोटिवेशनल स्पीकरों की भी मदद ले सकते हैं। स्वयं भी एनर्जी से भरे संवाद एम्प्लाइज के साथ कर सकते हैं।

गोल सैट कर आगे बढ़ें
स्टार्टअप प्लानिंग के दौरान ही गोल तय कर लें, क्योंकि बिना किसी प्लानिंग के किया गया काम आपको दिशा से भटका सकता है। स्टार्टअप का प्लान बनाते समय एक-एक लेवल के हिसाब से प्लानिंग करें। कोशिश करें कि आप सिमिलर स्टार्टअप्स का निरंतर अध्ययन करते रहें। इस प्रक्रिया से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। हर गोल को प्राप्त करने के बाद दोबारा वहां तक पहुंचने की प्रक्रिया का अध्ययन करें। जिससे कि आपको पता लग सके कि दूसरा गोल अचीव करते समय क्या-क्या सावधानी रखनी है।

ऋण योजनाओं का लाभ लें
इंवेस्टमेंट के लिए आप बैंक या किसी फाइनेंसर के साथ सरकारी योजनाओं को प्रमुखता दें। कई सरकारी बैंक स्टार्टटप को सपोर्ट देने के लिए कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराते हैं। आपके स्टार्टअप के लिए किसी योजना से ऋण लेना फायदेमंद होगा इसकी एडवाइज आपको एसएमई विशेषज्ञ दे सकते हैं। किसी भी सरकारी संस्था से नए बिजनेस के लिए ऋण लेने के लिए आपका आइडिया मजबूत होना चाहिए। विशेषज्ञों से अपने स्टार्टअप की रिपोर्ट तैयार करवाएं, फिर संबंधित संस्था में ऋण के लिए
आवेदन करें।

यूनिक आईडिया पर काम करें
सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर बनने के लिए यूनिक आइडिया पर काम करें। ई-कॉमर्स, आईटी, फूड, ट्रैवल जैसे परंपरागत बिजनेस के बजाए एग्रीकल्चर, फॉर्मा जैसे फील्ड को प्रमुखता दें। चाहें तो कंसल्टेंसी जैसे स्टार्टअप के लिए रिसर्च कर सकते हैं। आपका कोई फैमिली बिजनेस है तो उससे जुड़े अन्य बिजनेस आइडिया पर भी आप काम कर सकते हैं। परंपरागत बिजनेस में इनोवेशन आपको फायदा पहुंचा सकता है।

क्या मार्केटिंग करने में फेल हो रहे हैं?
ऐसे स्टार्टअप की संख्या में दुनियाभर में बहुत कम है जो बिनी किसी मार्केटिंग स्ट्रेटजी की सफल हुए है। इसलिए मार्केटिंग की प्लानिंग और उसका बजट किसी भी स्टार्टअप के थिंक टैंक की प्राथमिकता होनी चाहिए। आप चाहें तो मार्केट रिसर्च बजट को भी इसमें सम्मलित कर सकते है। मार्केटिंग के मीडियम क्या हों यह आपके बजट पर निर्भर करता है। साथ ही स्टार्टअप किसी फील्ड से सबंध रखता है इस पर भी मार्केटिंग के तरीके तय किए जा सकते हैं। आइडियली जो मार्केटिंग स्ट्रेटजी सभी के अनुपयोगी है उनमें सोशल मीडिया, प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया या सामान्य एडवरटाइजिंग सम्मलित हैं।



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